नई दिल्लीः बीते कई दिनों से मीडिया और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को विराम लगा दिया. पुरी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की गति अच्छी है और भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जहां विकास दर भी अच्छी है और पेट्रोल डीजल की कीमतें भी लंबे समय से स्थिर हैं. ऐसे में अनावश्यक कीमतें कम करने का सवाल ही नहीं उठता. हांलाकि पुरी ने ये इशारा जरूर किया कि अभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें ऊंची हैं, और जब भी कीमतें कम होंगी तब इसका लाभ अंतिम उपभोक्ता को जरूर मिलेगा.
भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं पर टिप्पणी पर करते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हम प्रति दिन करीब 5 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उपयोग कर रहे हैं और यह हर दिन बढ़ रहा है.
वेनेजुएला में नई सरकार के मद्देनजर कच्चे तेल का आयात फिर से शुरू होने के सवाल पर पुरी ने कहा कि अगर वेनेजुएला का तेल बाजार में आता है तो हम इसका स्वागत करेंगे. आपको बता दें कि भारत ने आखिरी बार 2020 में वेनेजुएला से कच्चे तेल का आयात किया था जो अमेरिका के वेनेजुएला पर कठोर प्रतिबंध लगाने के बाद रुक गया था. अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने की कोशिश में लगा वेनेजुएला लगभग 850,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है और जल्द ही 10 लाख बीपीडी तक पहुंचने का लक्ष्य है.
पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने इसी मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वेनेजुएला लंबित लाभांश के बदले ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) को कच्चे तेल की आपूर्ति करने पर सहमत हो गया है. जैन ने कहा कि वह हमें ओवीएल के लंबित बकाया के बदले में कुछ तेल देने पर सहमत हो गए हैं. हम तेल कब लेना है उन तारीखों का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, वेनेजुएला के पेट्रोलियोस डी वेनेजुएला एसए के सैन क्रिस्टोबल परियोजना में भारत का भी निवेश है. आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि सैन क्रिस्टबल परियोजना पर कंपनी का लगभग 600 मिलियन डॉलर का लाभांश बकाया है.
आपको बता दें कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के सदस्य देशों में शामिल वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है. ऐसे में अगर लंबित लाभांश के बदले भारत को कच्चा तेल मिलता है तो सीधे तौर पर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में इज़ाफा होगा.
पुरी ने कहा कि कहा कि देश में अब उज्जवला गैस के उपभोक्ता 10 करोड़ से ऊपर हो गए हैं. दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक और उपभोक्ता भारत ने अपने ऊर्जा परिदृश्य को नया आकार देने के लिए एक रणनीतिक यात्रा शुरू की है.
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