नई दिल्ली: पेट्रोलियम क्षेत्र में देश के सबसे बड़े सार्वजनिक उपक्रम ओएनजीसी की दो रिफाइनरी कंपनियां एचपीसीएल और एमआरपीएल का विलय जून 2021 के बाद मुमकिन है. ओएनजीसी के चेयरमैन शशि शंकर ने दोनों रिफाइनरी के विलय को लेकर बड़ा बयान दिया है. शशिशंकर ने कहा है कि हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लि. (एमआरपीएल) के विलय पर ओएनजीसी जून 2021 के बाद विचार करेगी.
ओएनजीसी ने 2018 में एचपीसीएल का 36,915 करोड़ रुपये में अधिग्रहण पूरा किया था. देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी ओएनजीसी की एचपीसीएल में 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी है. वहीं एमआरपीएल में ओएनजीसी की 71.63 प्रतिशत और एचपीसीएल की 16.96 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इस तरह परोक्ष रूप से एमआरपीएल में ओएनजीसी के शेयर तकरीबन 80 प्रतिशत के आसपास हैं. शशिशंकर ने अपने बयान में कहा है कि एमआरपीएल जहां पूरी तरह एक रिफाइनरी कंपनी है वहीं एचपीसीएल जितना रिफाइनिंग करती है, उससे ज्यादा रिटेल में तेल बेचती है. इस तरह इन दो कंपनियों का विलय एक तर्कसंगत निर्णय होगा जिससे एमआरपीएल को बाहर तेल नहीं बेचना पड़ेगा और एचपीसीएल को बाहर से तेल खरीदना नहीं पड़ेगा.
एचपीसीएल और एमआरपीएल के विलय से पहले ओएनजीसी, एमआरपीएल के साथ ओएनजीसी मैंगलोर पेट्रोकेमिकल्स लि. (ओएमपीएल) के विलय पर गौर कर रही है. एमआरपीएल की ओएमपीएल में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है. जबकि ओएनजीसी की 48.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है. एमआरपीएल ओएनजीसी की हिस्सेदारी का भी अधिग्रहण करेगी. ओएमपीएल के साथ एमआरपीएल के मर्जर पर सीएमडी शशि शंकर कहा, ''हमें पेट्रोलियम मंत्रालय से विलय की मंजूरी मिल गयी है. हम जून 2021 तक इसे पूरा करने की उम्मीद कर रहे हैं. उसके बाद हम एमआरपीएल और एचपीएल के विलय पर विचार करेंगे.''
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