एक समय पर लगा, अब horizontal ड्रिलिंग से नहीं हो पाएगाः SJVN सीएमडी

SJVN सीएमडी नंद लाल शर्मा, जो कि PMO और राजमार्ग मंत्रालय की मॉनिटरिंग कमेटी का हिस्सा थे, ने उत्तरकाशी बचाव अभियान (Uttarkashi Tunnel Rescue Operation) के अनुभव साझा किए
SJVN CMD Nand Lal Sharma was part of the monitoring committee set by PMO for Uttarkashi Tunnel Rescue Operation
SJVN CMD Nand Lal Sharma was part of the monitoring committee set by PMO for Uttarkashi Tunnel Rescue Operation File

नई दिल्लीः (Uttarkashi Tunnel Rescue Operation) 12 नवंबर से 28 नवंबर तक कुल 17 दिन तक चले उत्तरकाशी बचाव अभियान ने एक तरह से पूरे देश की सांसें रोक रखी थीं, तो वहीं देश के अमूल्य रत्न पब्लिक सेक्टर ने जान झोंक रखी थी उन 41 मजदूरों की जान बचाने में, जो सुरंग का एक हिस्सा ढहने से फंसे हुए थे. सुरंग से जुड़े बचाव अभियानों का पूर्व अनुभव होने के कारण SJVN का नाम प्रधानमंत्री मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे को सुझाया गया जो इस पूरे बचाव अभियान की निगरानी कर रहे थे.

SJVN सीएमडी नंद लाल शर्मा ने PSU Watch से बातचीत करते हुए बताया कि साल 2015 में हिमाचल के बिलासपुर ज़िले में में स्वारघाट के पास ऐसे ही एक हाईवे निर्माण में मज़दूर Tunnel collapse में फँस गये थे तब SJVN की लोगों की टीम ने 9 दिन में vertical hole drill करके मज़दूरों को बाहर निकाला था.

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SJVN सीएमडी थे PMO की मॉनिटरिंग कमेटी का हिस्सा

एसजेवीएन के पूर्व अनुभवों और कर्मियों की दक्षता के आधार पर SJVN सीएमडी नंद लाल शर्मा को PMO की मॉनिटरिंग कमेटी का हिस्सा का बनाया गया जिसके जरिए वो लगातार अपने अनुभव शेयर कर रहे थे. शर्मा ने बताया कि जैसे ही 12 November को ये हादसा हुआ SJVN ने तुरंत एक टीम बनाकर रवाना की जिसमें जियोलॉजिस्ट थे, डिज़ाइन एक्सपर्ट थे, सिविल इंजीनियर थे और टनल के फील्ड एक्सपर्ट थे, उन पंद्रह लोगों की टीम बनाकर उत्तरकाशी भेजी और वो लगातार उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग पर रहे.

SJVN सीएमडी ने बताया कि पहले जो horizontal ड्रिलिंग हो रही थी लेकिन वो सफल नहीं हो पा रही थी. ऐसे समय में पूछा गया कि और कौन से विकल्प हो सकते हैं? "SJVN के vertical drill करके सफलता पाने का एक अनुभव था. इस तरह वर्टिकल ड्रिलिंग पर हमने काम शुरू किया और एक नहीं बल्कि तीन तीन मशीनें मोबाइलाइज़ की. एक मशीन तो यहाँ देवप्रयाग में मिल गई, दूसरी मशीन हमने गुजरात के वलसाड से और तीसरी मशीन हीराकुंड, उड़ीसा के से मंगाई गई. जब horizontal drilling में दिक़्क़त आई शुरू हुई तो हमारी टीम ने वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की और डेढ़ दिन में ही 40 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग कर दिया" शर्मा ने PSU Watch से बातचीत करते हुए बताया.

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17 दिन बाद मिली सफलता

"हालाँकि इस बीच horizontal hole में आ रही दिक़्क़तें दूर हो गयीं और vertical ड्रिलिंग रोक दी गई. आख़िरकार horizontal hole के ज़रिये ही rescue ऑपरेशन कम्पलीट किया गया", उन्होंने कहा. सीएमडी ने बताया कि टनल बनाने में SJVN की टीम बेजोड़ है और कंपनी के पास बेहतरीन सिविल डिज़ाइन एक्सपर्ट और जियोलॉजिस्ट मौजूद हैं.

इस बीच प्रधानमंत्री मोदी जो कि लगातार पूरे मामले का अपडेट ले रहे थे, ने बचाव अभियान में शामिल सभी एजेंसियों को बधाई दी है.

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