New Delhi: (PSU Privatisation News) क्या होगा पीएसयू के कर्मचारियों का निजीकरण के बाद. क्या कर्मचारी अपनी नौकरियां खो देंगे और अपने अधिकार भी. जब पीएसयू का सरकारी मैनेजमेंट ही नहीं रहेगा तो आखिर नया मालिक क्यों उन्हें बाहर नहीं निकालकर फेंक देगा. प्राइवेट पार्टी तो फायदा देखती है जबकि सरकारी उपक्रम समाज के व्यापक हित को देखते हुए फैसला लेते हैं. ये तमाम चिंताएं हैं जो पीएसयू में काम कर रहे लोगों को सता रही हैं. इनमें खासे परेशान तो वो हैं जिन्होंने बीते दस सालों के दौरान पीएसयू ज्वॉइन किए थे. बहरहाल, आरआईएनएल निजीकरण RINL privatisation से जुड़ी कर्मचारियों RINL employees की चिंताओं का निराकरण संबंधित मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में लिखित जवाब देकर करने की कोशिश की है.
सवाल पूछा गया कि आखिर क्यों आरआईएनएल निजीकरण RINL privatisation से जुड़ा फैसला लेने की जरूरत सरकार को पड़ी. प्रधान ने जवाब दिया कि कंपनी घाटे में है. और बीते पांच सालों से लगातार घाटे में जा रही है. लिखित जवाब में उन्होंने दिखाया कि कैसे RINL का कुल नेटवर्थ 2015-16 में 9873.20 करोड़ रुपये से घटकर 2019-20 में 3271.79 करोड़ रुपये हो गया है। इसके अलावा सालाना घाटा 2015-16 में 1420.64 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 3910.17 करोड़ रुपये रहा.
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने 27 जनवरी, 2021 को आयोजित अपनी बैठक में, भारत सरकार के पीएसयू राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) के 100% विनिवेश के लिए सैद्धांतिक की स्वीकृति प्रदान की है.
यह पूछने पर कि कर्मचारियों का ध्यान निजीकरण के दौरान कैसे रखा जाएगा, धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि "रणनीतिक बिक्री यानी निजीकरण के नियमों और शर्तों को तय करते समय, मौजूदा कर्मचारियों और अन्य हितधारकों की वैध चिंताओं को उपयुक्त ढंग से साझा खरीद समझौते Share Purchase Agreement (SPA) में किए गए उचित प्रावधानों के माध्यम से संबोधित किया जाएगा". हांलाकि ये गोल-मोल किस्म का जवाब है और रटा-रटाया भी. क्योंकि बिल्कुल ऐसा ही उत्तर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पीएसयू कर्मचारियों PSU employees के भविष्य पर पूछे गए सवाल पर दे चुकी हैं.
"सरकार विनिवेश के समय बोलीदाताओं (bidders) के साथ साझा खरीद समझौते Share Purchase Agreement (SPA) में उचित प्रावधानों के माध्यम से कर्मचारियों और कंपनी के अन्य हितधारकों की वैध चिंताओं को समाधान करती है", सीतारमण ने सोमवार को संसद में कहा था. ज़ाहिर है, इन सवालों के जवाब मंत्रालय से जुड़े नौकरशाह यानी ब्यूरोक्रेट बनाते हैं. मंत्री को उसे संसद में पढ़ भर देना होता है.
यहां आपको ये बता देना जरूरी है कि सरकार के इस आरोप पर, कि आरआईएनएल निजीकरण RINL privatisation की मुख्य वजह पीएसयू का कमजोर प्रदर्शन है, आरआईएनएल के कर्मचारी RINL employees कहते हैं कि पिछले वर्षों में संयंत्र के खराब प्रदर्शन का मूल कारण कच्चे माल की कमी है. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), टाटा स्टील, जिंदल स्टील और ऐसे अन्य संयंत्रों के विपरीत, VSP के पास अपनी बंदी लौह अयस्क (captive iron ore mine) की खान नहीं है. RINL राष्ट्रीय खनिज विकास निगम द्वारा चलाई जा रही बैलाडीला खदानों से आपूर्ति पर निर्भर करता है और ऑस्ट्रिया से कोकिंग कोल आयात करता है.
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