कोरोनावायरस से उपजी वैश्विक महामारी कोविड-19 ने दिखा दिया कि सार्वजनिक लोक उपक्रम ना सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं बल्कि सामाजिक सरोकार से जुड़ी जिम्मेदारियों के निर्वहन में भी निजी और सार्वजनिक उपक्रमों की कोई तुलना नहीं। मुनिशंकर पाण्डेय लिख रहे हैं कि महासंकट ने हमें समझा दिया है कि सार्वजनिक लोक उपक्रमों के विनिवेश का विचार ना तो रणनीतिक रह गया है और ना ही प्रासंगिक