“ये कोमल हाथ अपने परिवार का ख्याल भर नहीं रखते, पूरी ताकत से कोयला भी खोदते हैं”

वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की महिलाशक्ति ने कोरोना संकट में घर की देखभाल और नौकरी की जिम्मेदारी की दोहरी भूमिका का निर्वाह कर सशक्तिकरण की नयी मिसाल पेश की है
“ये कोमल हाथ अपने परिवार का ख्याल भर नहीं रखते, पूरी ताकत से कोयला भी खोदते हैं”

नागपुर: अगर आप लॉकडाउन की बंदिशों की वजह से अपने घर पर परेशान हैं तो आपको वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिडेट (वेकोलि) की पूजा समर्थ के बारे में जानना चाहिए। कोरोनावायरस के संकट की इस घड़ी में में हेलमेट, मास्क और ग्लव्स पहने पूजा समर्थ, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के महाराष्ट्र स्थित उमरेड ओपन कास्ट माइन में हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी (HEMM) यानी हाइड्रोलिक शॉवेल चला रही हैं. देश में कोयले की कमी न हो इसलिए पूजा ओपन कास्ट माइन में आठ घंटे की शिफ्ट में ओवरबर्डन हटाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं. इतना ही नहीं, कोयला निकालने की कड़ी मेहनत के काम के बाद जब वो घर जाती हैं, तो वहां अपने माता-पिता का ख्याल रखती हैं। शिफ्ट से टाइम निकाल कर सहकर्मियों के साथ मौजूदा कोरोना-संकट में जरुरतमंदों को खाने के पैकेट्स भी बांटने जाती हैं. जिंदगी सबकी मुश्किल होती है लेकिन मुश्किल वक्त में अपने अंदर के योद्धा को जगाने की जिम्मेदारी भी हमारी है।

वेकोलि में कोरोना योद्धा की तरह डटी रहने वाली पूजा अकेली नहीं। कोल पीएसयू की नीधू रानी मिस्त्री से मिलिए, जो क्षेत्रीय कर्मशाला, पाथाखेड़ा (मध्यप्रदेश) में आर्मेचर वाइंडर हैं. खनन-कार्यों में लगी मशीनों की मरम्मत और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए अपनी शिफ्ट में डटी हुई हैं. अपने पारिवारिक दायित्वों के अलावा वे वेकोलि की टीम "शक्ति" की सक्रिय सदस्य के रूप में अपने सहयोगियों और उनके परिवार-जनों को भी कोरोना से बचाव हेतु सावधानी बरतने के लिए आगाह कर रही हैं. स्टाफ़ नर्स आशिमा दलाल से मिलिए, जो समय से पहले ऑफिस पहुंच कर यह सुनिश्चित कर रही हैं कि काम पर जाने से पूर्व, हर कोई मास्क पहने और सेनिटाइज़र का उपयोग जरुर करे. तो वहीं कन्हान क्षेत्र की एक युवा केटेगरी-1 कर्मी भाग्यश्री कहती हैं कि हर दिन वे यह जरुर देखती हैं कि शिफ्ट शुरू होने से पहले कॉलरी और मशीनों को सेनिटाइज़ कर दिया गया है.

 इन चारों की ही तरह, कम्पनी में अनेकों पूजा, भाग्यश्री, आशिमा और नीधूरानी हैं जो कोयला-योद्धा बनकर कोविड-19 को चुनौती दे रही हैं और राष्ट्र को रौशन रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

वेकोलि में महिला-कर्मी गैर अधिकारी और अधिकारी दोनों ही श्रेणियों में कार्यरत हैं. गैर अधिकारी वर्ग के कर्मियों का प्रशिक्षण खनन और गैर-खनन, दोनों ही गतिविधियों में किया जाता है. बड़ी संख्या में प्रशिक्षित ये महिलाकर्मी शॉवेल ऑपरेटर, इलेक्ट्रिशियन, आर्मेचर वाइंडर, वेल्डर, मोल्डर, पम्प ऑपरेटर, वॉल्व मैन का दायित्व ओपन कास्ट खदानों या वर्कशॉप में बख़ूबी निभा रही हैं. कुछ महिलाकर्मी क्लर्क, डाटा एंट्री ओपरेटर, अकाउंटेंट, कन्सोल ऑपरेटर, केमिस्ट तो कुछ स्टाफ़ नर्स, पेरामेडिक्स और सिक्योरिटी गार्ड के रूप में योगदान दे रही हैं. 

एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वेस्टर्न कोलफील्ड्स ने बताया कि "कोरोनावायरस से पैदा हुई परिस्थितियों में कम्पनी की तमाम महिलाशक्ति अपने स्तर पर अपना कर्तव्य निभाने में जुटी हुई हैं. कर्मी अपना कर्तव्य-निर्वहन कुशलतापूर्वक कर रही हैं. सभी क्षेत्रों तथा मुख्यालय में टीम शक्ति महिलाओं का एक स्वैछिक ग्रुप न केवल अपने कर्मियों को उनके कार्य-स्थल पर,बल्कि उनके घरों में भी उनकी मदद कर रहा है."

वेकोलि ने अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही इन महिला "योद्धाओं" को अलग-अलग अवसरों पर कोल-पीएसयू के "रियल हीरोज़" के रूप में सम्मानित किया गया है. इससे कम्पनी में लिंग-भेद से अलग नयी कार्य-संस्कृति की शुरूआत हुई है. कभी खदान की एक इकाई में मानव-संसाधन प्रमुख रहीं और अब मुख्यालय में पदस्थ पूर्वा नायडू कहती हैं "बदलते समय के साथ समाज ने धीरे-धीरे हम जैसी कामकाजी महिलाओं को पहचान देना शुरू किया. पर, इस कम्पनी में हमारा काम जिसने सबसे ज्यादा आसान किया वो है- यहां प्राप्त सशक्तिकरण की भावना. वेकोलि में कार्यरत इन तरह की अन्य महिला अधिकारी कुशलतापूर्वक किसी इकाई या विभाग के प्रमुख के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी निभा रही हैं और टीम वेकोलि के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही हैं."

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