मुख्यमंत्री बघेल (File Photo)
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छत्तीसगढ़: विधानसभा में मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक-2023 पारित

पीएसयू वॉच हिंदी

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए गुरूवार को विधानसभा में मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक-2023 पारित कर दिया इस विधेयक के दायरे में वो पत्रकार भी आते हैं जिन्हें अधियमान्यता नहीं है यानी वो सरकारी तंत्र के द्वारा एक्रेडिट नहीं किये गए हैं. विधानसभा की कार्यवाही के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे छत्तीसगढ़ विधानसभा और छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन बताया. उन्होंने कहा "हमारे पत्रकार साथियों के लिए यह बहुत ही अविस्मरणीय दिन रहा है. पत्रकार साथी जो अपनी जान जोखिम में डालकर, अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर खबर लाते हैं. बहुत सारे ऐसे लेख भी लिखते हैं, जिनसे उनको, उनके परिवार के लोगों को खतरा बढ़ जाता है. साथ ही धनहानि के साथ जनहानि की संभावना भी बन जाती है. ऐसे में जितने भी हमारे पत्रकार हैं, चाहे वे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया के हों, चाहे पोर्टल के हों। सभी साथियों के जो ऑफिस में काम करते हैं और वो भी जो गांव में काम करते हैं, जिनका अधिमान्यता पत्र नहीं है उनका रजिस्ट्रेशन करने का, अगर प्रेस कहता है कि वो हमारे साथ हैं और जो लगातार छह महीने के अंदर उसमें तीन लेख लिखे हों या स्टोरी की हो, ऐसे लोगों को छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा कानून के दायरे में लाया गया है, ताकि उनकी सुरक्षा हो सके".

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून के तहत यदि कोई शासकीय कर्मचारी मीडिया कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं तो उनकी शिकायत के लिए समिति बनी है. समिति को अधिकार संपन्न बनाया गया है. यह समिति प्रदेश स्तर पर होगी, जिसमें पत्रकारों के साथ अधिकारी गण भी होंगे, छह लोगों की समिति बनेगी, जो सुनवाई करेगी और आवश्यक निर्देश भी दे सकेगी और इसमें दण्ड का भी प्रावधान है. यदि शिकायतकर्ता समिति के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो अपील का भी प्रावधान रखा गया है. लेकिन यदि कोई गलत शिकायत करता है तो उसमें भी दण्ड का प्रावधान रखा गया है.

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है, जहां छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक पारित किया गया है. बघेल ने कहा कि जन घोषणा पत्र में हमने जो वादा किया था, आज उसमें से एक और वायदा पूरा कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अफताब आलम की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति बनी थी, जिसके सदस्य न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती अंजना प्रकाश, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजूराम चन्द्रन, वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय ललित सुरजन, प्रकाश दुबे,मेरे सलाहकार रूचिर गर्ग,महाधिवक्ता, विधि विभाग के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक सभी इसके सदस्य थे. इस समिति ने अनेक बैठकें राज्य में और दिल्ली में करके विभिन्न संगठनों से चर्चा करके इसका प्रारूप बनाया और उसके बाद इसके प्रारूप को विभाग को सौंपा गया, विभाग द्वारा लंबा विचार-विमर्श करके इसको विधेयक का रूप दिया गया. राज्यपाल से अनुमति लेकर इसे विधानसभा में प्रस्तुत किया गया और आज विधानसभा में यह विधेयक पारित हुआ है. ऐसा विधेयक जो मूल विधेयक है और जो पहली बार छत्तीसगढ़ की विधानसभा में प्रस्तुत हुआ, विपक्ष के साथियों को भी इसमें अपनी राय रखनी थी. हालांकि सर्वानुमति से इस विधेयक को पारित किया गया.

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