नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच सीमा पर चल रही तनातनी के मद्देनजर साल 2020 में ना सिर्फ अनेकों चीनी कंपनियों के ठेके रद्द कर दिये गए बल्कि कई सारे चाइनीज़ एप पर भी प्रतिबंध लगाया गया लेकिन 2021 में नयी शुरूआत देखने को मिल रही है. दिल्ली-मेरठ के बीच बन रहे रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) में दिल्ली के न्यू अशोक नगर से गाजियाबाद के साहिबाबाद तक 5.6 किमी के अंडरग्राउंड स्ट्रेच को बनाने का ठेका चीन की एक फर्म शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को दिया गया है. बीते साल इसी कंपनी का ठेका नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC) ने सीमा-तनाव के मद्देनजर रोक दिया था.
NCRTC ही दिल्ली से लेकर मेरठ के बीच देश के पहले और करीब 82 किमी लंबे रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) का विकास कर रही है जिसे एशियन डेवेलपमेंट बैंक (ADB) द्वारा फंड किया जा रहा है. ADB ही ठेके आबंटित करने संबंधी नियमों के लिए जिम्मेदार भी है. ADB की गाइडलाइंस के मुताबिक किसी भी कान्ट्रैक्टर या फर्म की योग्यता को उसकी राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं नकारा जा सकता.
NCRTC के एक प्रवक्ता ने साफ किया है कि ये कान्ट्रैक्ट नियमों के मुताबिक तय मानकों के आधार पर ही दिया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी ठेके अब दिये जा चुके हैं और सिविल कंस्ट्रक्शन से जुड़े काम भी तीव्र गति से चल रहे हैं.
यहां आपको बता दें कि बीते साल जून में जब STEC की बिड इसी अंडरग्राउंड स्ट्रेच के लिए सबसे योग्य कंपनी के रूप में सामने आई थी तब STEC की चाइनीज़ राष्ट्रीयता पर काफी विवाद हुआ था. इस विवाद को देखते हुए चीनी कंपनी को ठेका देनेनपर रोक लगा दी गयी थी. इस स्ट्रेच के लिए कुल पांच कंपनियों ने बोली लगाई थी. चीनी कंपनी STEC ने सबसे कम 1,126 करोड़ रुपये की बोली लगाई. भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) ने 1,170 करोड़ रुपये की बोली लगाई. एक और भारतीय कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स और एसकेईसी के जेवी ने 1,346 करोड़ रुपये की बोली लगाई.
दिल्ली-मेरठ के बीच सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर यानी रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) बनना है. इस प्रोजेक्ट से दिल्ली, गाजियाबाद होते हुए मेरठ से जुड़ेगी. 82.15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा. अंडर ग्राउंड स्ट्रेच को बनाने का काम चीनी कंपनी को दिया गया है.
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