Opinion

आखिर क्यों हैं स्वामी विवेकानंद युवाओं के लिए प्रासंगिक?

स्वामी विवेकानंद युग प्रवर्तक कहे जाते हैं. यानी ऐसा व्यक्तित्व जिसके पहले और बाद की दुनिया को दो हिस्सों में देखा जा सके. ना सिर्फ युवाओं को उन्होंने 'शक्ति ही जीवन है' का संदेश दिया बल्कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व को सही मायने में अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी और उन तमाम भ्रांतियों को भी दूर किया जिससे तात्कालिक विश्व इस देश और धर्म को लेकर ग्रसित था

Dr Swadesh Singh

भारत और दुनिया के युवाओं को प्रभावित करने वाले महापुरुषों में स्वामी विवेकानंद एक बड़ा नाम है. उनके शिकागो में 1893 में दिए गए भाषण ने उन्हें भारतीय दर्शन और आध्यात्म का अग्रदूत बना दिया. तब से आजतक उनके विचार युवाओं को प्रभावित करते रहे हैं. आज के दौर में जब युवा नई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, नए लक्ष्य तय कर रहे हैं और अपने लिए एक बेहतर भविष्य की आकांक्षा रख रहे हैं तो स्वामी विवेकानंद के विचार और भी प्रासंगिक हो जाते हैं. स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था और ये दिन हम राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाते हैं.

स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक युवा का जीवन सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होना चाहिए जिससे उसके मस्तिष्क, हृदय और आत्मा का संपोषण भी होता रहे. सार्थक जीवन के विषय में विवेकानंद के विचारों को इन चार बिंदुओं में समझा जा सकता है – शारीरिक, सामाजिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक संधान.

विवेकानंद का मानना था कि अधिकतर युवा सफल और अर्थपूर्ण जीवन तो जीना चाहते हैं लेकिन अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए वे शारीरिक रूप से तैयार नहीं होते. इसलिए स्वामी ने युवाओं से अपील की वे निर्भय बनें और अपने आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाएं. वे कहते थे कि किसी भी तरीके का भय ना करो. निर्भय बनो. सारी शक्ति तुम्हारे अंदर ही है. कभी भी मत सोचो कि तुम कमजोर हो. उठो, जागो और तब तक ना रुको जबतक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए. वो हमेशा मानसिक रूप से सशक्त होने के साथ-साथ शारीरिक रुप से मजबूत होने की बात भी कहते थे. गीता पाठ के साथ-साथ फुटबाल खेलने को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानते थे. उन्होंने साफ कहा कि शक्ति ही जीवन है, कमजोरी ही मृत्यु है और कोई भौतिक जीवन का सुख नहीं ले सकता अगर ताकतवर नहीं है. 

"किसी भी तरीके का भय ना करो. निर्भय बनो. सारी शक्ति तुम्हारे अंदर ही है. कभी भी मत सोचो कि तुम कमजोर हो. उठो, जागो और तब तक ना रुको जबतक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए"-स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि युवा अधिक से अधिक संख्या में सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों जिससे ना सिर्फ समाज बेहतर बनेगा बल्कि इससे व्यक्तिगत विकास भी होगा. उन्होंने सामाजिक सेवा के साथ आध्यात्मिकता को भी जोड़ा और मनुष्य में मौजूद ईश्वर की सेवा करने की बात कही. उनके अनुसार समाज सेवा से चित्तशुद्धि भी होती है. उन्होंने समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों की सेवा करके एक नए समाज के निर्माण की बात कही. युवाओं से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि बाकी हर चीज की व्यवस्था हो जाएगी लेकिन सशक्त, मेहनती, आस्थावान युवा खड़े करना बहुत जरूरी हैं. ऐसे 100 युवा दुनिया में क्रांति कर देंगे.

स्वामी विवेकानंद ने युवाओं में शारीरिक शक्ति और समाज सेवा का भाव होने के साथ-साथ बौद्धिक संधान पर भी बल दिया जिससे कि युवा दोनों प्रकार की दुनिया को भलीभांति समझ सके. उन्होंने सभी के लिए शिक्षा की बात कही और कहा, "शिक्षा कोई जानकारियों का बंडल नहीं जो दिमाग में रख दिया जाए और जिंदगी भर परेशान करते रहे. हमें तो ऐसे विचारों को संजोना है जो समाज-निर्माण, व्यक्ति निर्माण, चरित्र निर्माण करे. उन्होंने एक राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था की बात कही जिसमें भौतिक और आध्यात्मिक शिक्षा देश के लोगों के हाथों में हो और राष्ट्रीय चिंतन के आधार पर हो. उन्होंने भारत के पुनर्निर्माण में शिक्षा के महत्व पर बल दिया और कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो आम जनता की मदद करे और वे जीवन से संकटों से निपटने में मदद करे, चरित्र निर्माण करे, परोपकार का भाव जगाए और सिंह सा साहस दे.

स्वामी विवेकानंद ने पश्चिमी सभ्यता की सराहना तो कि लेकिन भारतीय दर्शन और आध्यात्म के प्रेम में वे वशीभूत थे. उन्होंने भारतीय युवा से कहा कि पश्चिमी सभ्यता में बहुत कुछ सीखने को है लेकिन भारत की आध्यात्मिक थाती का कोई सानी नहीं है. इसलिए युवाओं को अपने जीवन में आध्यात्मिकता का भाव अवश्य रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि पश्चिम का विचारवान युवा, भारतीय दर्शन और आध्यात्म में एक नई उमंग प्राप्त कर रहा है और जिस आध्यात्मिक भूख और प्यास की तलाश में वे हैं वो उन्हें यहां मिल रही है. 

आज जो भारतीय युवा लक्ष्यविहीन हो रहा है और भौतिक सुख के पीछे भागते हुए मानसिक तनाव और थकान झेल रहा है उसके लिए स्वामी विवेकानंद द्वारा सुझाया ये आध्यात्मिक मार्ग बहुत कारगर है. उन्होंने युवाओं को आध्यात्मिक संधान पर जाने की बात कही जिससे उन्हें सिर्फ अपने लक्ष्य पाने में आसानी ना हों बल्कि वे जीवन में महानतम लक्ष्य बना सकें. उन्होंने साफ कहा कि जीवन बहुत छोटा है लेकिन आत्मा अजर-अमर है इसलिए अपने जीवन को एक बड़े लक्ष्य की प्राप्ति में लगा दो. एक बार जीवन की कठिनाइयों पर भाषण करते हुए उन्होंने त्याग और सेवा के आदर्शों को राष्ट्रीय पर स्थापित करना चाहिए जिससे ये युवाओं के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन सकें. इस प्रकार युवा आध्यात्म की तरफ मार्ग अपने आप प्रशस्त हो जाएगा.

"शिक्षा कोई जानकारियों का बंडल नहीं जो दिमाग में रख दिया जाए और जिंदगी भर परेशान करते रहे. हमें तो ऐसे विचारों को संजोना है जो समाज-निर्माण, व्यक्ति निर्माण, चरित्र निर्माण करे"- स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद ने इन चार क्षेत्रो में युवाओं से संधान करने के लिए कहा। इसके माध्यम से वे व्यक्ति और राष्ट्र की सामूहिक चेतना को जगाना चाहते थे. उन्होंने इस भारत के सभ्यतागत मूल्यों पर पूरी आस्था बनाए रखी और युवाओं से राष्ट्र पुनर्निर्माण की अपील की. उनके सपनों का भारत एक ऐसी भूमि और समाज था जहां मानव मात्र का सम्मान और स्वतंत्रता होने के साथ-साथ प्रेम, सेवा और शक्ति का भाव भी हो.

स्वामी विवेकानंद एक कर्मयोगी थे. उन्होंने सिर्फ शिक्षा और उपदेश नहीं दिए बल्कि उन्हें अपने जीवन में सबसे पहले उतारा. योगी होने के साथ-साथ उन्होंने समाज के सबसे कमजोर तबके को अपना भगवान माना और उनकी सेवा करते रहे. अपनी आध्यात्मिक चेतना के साथ-साथ अपनी सामाजिक चेतना को भी जाग्रत रखा और समाज का काम करते रहे. स्वामी विवेकानंद अपने विचारों, आदर्शों और लक्ष्यों की वजह से आज भी बहुत प्रासंगिक हैं. उन्होंने युवाओं को शारीरिक, सामाजिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक संधान के माध्यम से इन्हें प्राप्त करने का तरीका बताया. आज का युवा इनमें से किसी एक भी मार्ग पर चलकर शांति, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति कर सकता है.

(डॉ स्वदेश सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में प्राध्यापक हैं. आप उन्हें ट्विटर पर यहां फॉलो भी कर सकते हैं)

(PSU Watch– पीएसयू वॉच भारत से संचालित होने वाला  डिजिटल बिज़नेस न्यूज़ स्टेशन  है जो मुख्यतौर पर सार्वजनिक उद्यम, सरकार, ब्यूरॉक्रेसी, रक्षा-उत्पादन और लोक-नीति से जुड़े घटनाक्रम पर निगाह रखता है. टेलीग्राम पर हमारे चैनल से जुड़ने के लिए Join PSU Watch Channel पर क्लिक करें. ट्विटर पर फॉलो करने के लिए Twitter Click Here क्लिक करें)

India, Russia to meet $100 billion trade target before 2030: Modi

DRDO hands over 7 indigenous technologies to armed forces, approves 12 new defence projects

NHAI gets SEBI in-principle approval to RIIT as InvIT; gets 6 months for compliances before final nod

DGCA sets up four-member panel to inquire into IndiGo flight disruptions; to submit report in 15 days

India, Russia sign MoU on training specialists for ships operating in polar waters